बदलाव
सुचित्रा आज फिर ओफ़िस से घर के लिये निकलते-निकलते लेट हो गई सारे रस्ते उसके दिमाग मे आकाश का चेहरा घूमता रहा ओर कानो मे उसकी जली कटी बाते. कहाँ थी,किसके साथ थी,ये कोई घर आने का टाइम है। सुचित्रा का आकाश के साथ रहना मुश्किल होता जा रहा था,लेकिन उनकी ५ साल की बॆटी उन्हे एक साथ बान्धे हुए थी उसका चेहरा देखते ही वो अपना सारा अपमान भूल जाती थी. घर पहुँचने पर आकाश ने ही दरवाजा खोला सुचित्रा अन्दर आकर कुर्सी पर बैठ गई । नेहा मम्मी मम्मी चिल्लते हुए उसके गले से लटक गई तो पास ही खडे आकाश ने बोला,बॆटा मम्मी थक कर आई है उन्हे थोडा आराम करने दो.सुचित्रा आकाश आश्चर्य से देखती रह गइ। ना आज उसकि जली कटी सुनने को मिलि ना ही ताने......आज तो खाना भी आकाश ने ही परोसा। आकाश मे ये बदलाव रोज ही नजर आने लगा.सुचित्रा आकाश मे आये इस बद्लाव को देखकर खुश होना चहती थी लेकिन उसके मन की दुविधा उसे सोचने पर मजबूर कर रही थी।रविवार का दिन था,नेहा खेलने गइ थी आकाश ओर सुचित्रा बैठ कर टीवी देख रहे थे। आकाश ने बडे प्यार से उसका हाथ थामते हुए पूछा ,सुचित्रा मै तुमसे कुछ मागू तो तुम मना तो नही करोगी। सुचित्रा का मन सचेत हो गया। उसने कहा ......क्या बात हॆ बोलो। आकाश ने कहा ....तुम्हे तो पता हि है,मुझे नोकरी करने मे बिल्कुल भी दिलचस्पी नही है। मै ओर दिलिप एक नया बिजनस शुरु करने कि सोच रहे है। ६ लाख रुपये चहिये,तुम अपनि कम्पनी से लोन ले लो।सुचित्रा को आकाश मे आये बदलाव का कारन समझ आ गया था.
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