Friday 7 September 2018

तुम अब बड़े हो गए हो

तुम अब बड़े हो गए हो 
मेरी गोद से उतरकर उंगली पकड़कर चलते चलते
 जाने कहाँ गुम हो गए हो 
तुम अब बड़े हो गए हो 
जब भूख लगती थी तो मेरी याद आती थी
कोई चीज गुम हो जाती थी तो मेरी याद आती थी
मेरे आँचल को छोड़ जाने किस ओर मुड़ गए हो
तुम अब बड़े हो गए हो
जब चोट लगती थी तो मुझे बुलाते थे 
डर लगता था तो मेरी ओट में छुप जाते थे
अपने जख्मों पर मरहम लगाते लगाते 
अपने डर को छुपाना सीख गए हो 
 तुम अब बड़े हो गए हो 
बदमाशी करते थे तो डांट खाते थे 
कभी खुद रूठते थे कभी मुझे मनाते थे 
हमारी ही उम्मीदों का बांध बांधते जाने कहाँ बह गए हो 
तुम अब बड़े हो गए हो 
मेरे पास बैठकर घंटों बातें बनाते थे 
कुछ भूल गए तो पीछे फिर फिर के आते थे 
लेकिन अब हर बात को संक्षिप्त रूप से कहना सीख गए हो 
तुम अब बड़े हो गए हो 
मेरी हर हिदायत पर ध्यान देते थे 
अपने नरम हाथों से मेरे आंसू पोंछ देते थे 
 मेरी जली हुई ऊँगली पर फूंक मारते मारते 
जाने कब टेक केयर कहना सीख गए हो 
तुम अब बड़े हो गए हो 
तुम अब बड़े हो गए हो