तुम अब बड़े हो गए हो
मेरी गोद से उतरकर उंगली पकड़कर चलते चलते
जाने कहाँ गुम हो गए हो
तुम अब बड़े हो गए हो
जब भूख लगती थी तो मेरी याद आती थी
कोई चीज गुम हो जाती थी तो मेरी याद आती थी
मेरे आँचल को छोड़ जाने किस ओर मुड़ गए हो
तुम अब बड़े हो गए हो
जब चोट लगती थी तो मुझे बुलाते थे
डर लगता था तो मेरी ओट में छुप जाते थे
अपने जख्मों पर मरहम लगाते लगाते
अपने डर को छुपाना सीख गए हो
तुम अब बड़े हो गए हो
बदमाशी करते थे तो डांट खाते थे
कभी खुद रूठते थे कभी मुझे मनाते थे
हमारी ही उम्मीदों का बांध बांधते जाने कहाँ बह गए हो
तुम अब बड़े हो गए हो
मेरे पास बैठकर घंटों बातें बनाते थे
कुछ भूल गए तो पीछे फिर फिर के आते थे
लेकिन अब हर बात को संक्षिप्त रूप से कहना सीख गए हो
तुम अब बड़े हो गए हो
मेरी हर हिदायत पर ध्यान देते थे
अपने नरम हाथों से मेरे आंसू पोंछ देते थे
मेरी जली हुई ऊँगली पर फूंक मारते मारते
जाने कब टेक केयर कहना सीख गए हो
तुम अब बड़े हो गए हो
तुम अब बड़े हो गए हो