Thursday 13 July 2017

 न जाने मुझे इस जीवन से क्या चाहिए
 कभी घूमना कभी ठहरना चाहिए
 कभी मन चाहता है कि उड़ जाऊं सारे बंधन तोड़ कर
 कभी दिल को बंधनों में जकड़ना चाहिए
 कभी सोचती हूं ना हो मेरे आस पास कोई
 कभी किसी भीड़ में खो जाना चाहिए
 कभी जूझना चाहूं हर सितम हर परेशानी से
 कभी बस कही चैन की एक साँस चाहिए
 कभी दिल करता है कि थाम कर हाथ उसका, चलूँ जिंदगी भर
 कभी उस से छुप जाने का ठिकाना चाहिए
 न कर यूँ परेशां मुझे ए जिंदगी
 कि मुझे तुझसे गुजरने का बहाना चाहिए